प्रस्तावना
प्रकृति ने मनुष्य को कई प्रकार की सौगाते दी है जिसमें उसकी सबसे बड़ी सौगात पर्यावरण हैं। अगर यह पर्यावरण न होता तो पृथ्वी में जीवन जीना संभव न होता । बिना पयर्यावरण के कोई भी जीव-जन्तु जीवित नहीं रह सकता । पर्यावरण का हमारे जीवन से गहरा संबंध है।
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मानव जीवन के सुगमता हेतु आम जनो में पर्यावरण एवं प्रकृति के प्रति जागरूकता देते फाउडेशन के पदाधिकारी (चित्र: ग्राम बिलहरी के सिद्व बाबा भटिया से) |
यह पर्यावरण ही है जो हमें पीने के लिये पानी, जीने क लिये वाय,ु खाना बनाने के लिये लकड़ी जीव-जन्तुओं के लिये घास इत्यादि देता है। पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से ही ‘‘आक्सीरिच इनवायरमेंट वेलफेयर फाऊंडेशन‘‘ का गठन किया गया है। जिसका मूल अर्थ है (आक्सी) + (रिच) ’धनी’ (आक्सीजन से धनी) पर्यावरण का निमार्ण करना है जो कि संस्था के प्रमुख उद्देश्यों में से है कि अधिक से अधिक आक्सीजन उत्सर्जित करने वाले पौधे जैसे पीपल, नीम, बरगद, आम जामुन आंवला एवं अन्य फलदार पौधों का रोपण समस्त आबादी एवं गैर आबादी, सड़कों के दोनो किनारो पर, सरकारी पडी भूमियो पर लगाना एवं उन्हे संरक्षित करना ताकि पर्यावरण में वायु प्रदूषण के बढ़ते दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। औदयौगिकीकरण की नई क्रंाति के विकास की दौड़ में लगातार होने वाली प्रतिस्पर्धा के कारण आज पर्यावरण पूर्ण रूप से प्रदूषित हो चुका है जिससे पर्यावरण में मौसम का बदलाव अचानक देखा जा सकता है जिसके करण कई गंभीर बीमारियों ने जन्म लिया है प्रकृति एवं प्र्यावरण में इस बदलाव को हम दूसरे शब्दों में गलोबल वार्मिग/पर्यावरणीय संकुचन भी कह सकते हैं गलोबल वार्मिग को समझने से पूर्व एक बार अपने पर्यावरण के बारे में जान लेना चाहिये, क्योंकि कहा गया है कि हमारा जीवन बेहतर तभी होगा जब हामरे आस पास का पर्यावरण बेहतर होगा यदि ऐसा नहीं होगा तो कहीं न कहीं यह हमारे जीवन या जीवनशैली को प्रभावित करेगा। जिसके परिणाम अत्यंत खतरनाक साबित होगें क्योंकि हमारा जीवन हमारा न होके हमारे आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है इसलिये सुंदर एवं खुशहाल जिंदगी जीने के लिये एक स्वच्छ एवं साफ पर्यावरण का होना अति आवश्यक है।
पर्यावरण मुख्यता दो शब्दों ’परि’ और ’आवरण्’ा से मिलकर बना है अर्थात हमारे आस पास का वातावरण जो कि हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है अतः हमारे आस पास मौजूद हवा, पानी, पेड,़ पौधे जीव जन्त,ु नदी, तालाब आदि मिलकर ही एक खुशहाल व स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण करते हैं।
इक्कीसवीं सदी में विकास की नई क्रांति एवं औद्यौगिकीकरण में हो रहे प्रतिस्पर्धा के चलते ऊर्जा की मंांग बढ़ी है जिसके कारण उर्जा की पूर्ति हेतु प्रकृति का लगातार दोहन किया जा रहा है लगातार हो रहे दोहन की वजह से आज पर्यावरण में असंतुलन पैदा होता जा रहा है जिससे पर्यावरण की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आती जा रही है एवं पर्यावरण में हो रहे लगातार बदलाव की वजह से इसके गंभीर परिणाम भी सामने आते जा रहे हैं क्योंकि पर्यावरण में मौजूद वायु में मिश्रित जीवनदायी गंैसो के निश्चित मात्रा में लगातार उतार चढाव के कारण वातावरण में मौजूद प्राणदायक वायु पूर्ण रूप से प्रदूषित हो चुकी है और यही प्रदूषण जैसे कि- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, वं विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों, ने समस्त मानव जाति, जीव जन्तु एवं ब्रम्हांड में उपस्थित प्रत्येक वस्तु के लिये खतरनाक साबित हो रही क्योंकि वायु प्रदूषण व पर्यावरण में हो रहे बदलाव की वजह से हिमालय पर्वतों पर जमा बर्फ का पिघलना, ब्राम्हणीय ध्रुवों पर स्थित ग्लेशियरों का पिघलना, आोजोन परत छेद की वजह से कई खतरनाक बीमारियों को जन्म लिया है ।
हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी होगी एवं पर्यावरण की रक्षा हेतु जनमानस में जागरूकता फैलानी होगी ताकि हम अपनी धरती पर आने वाली भावी पीढ़ी को एक सुरक्षित एवं संरक्षित खुशहाल व स्वच्छ पर्यावरण दे सके।
यदि हमें पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाना है तो केवल एक ही तरीका है सबको इस मुहिम में शामिल करना अतः आप सभी प्रियजन से यह मेरा अुनरोध है कि आप भी हमारी संस्था आक्सीरिच इनवायरमेंट वेलफेयर फाऊंडेशन के साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने में अपना हमे सहयोग प्रदान कर ! आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर कल दें।
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