Saturday, June 9, 2018

प्लास्टिक प्रदूषण का दुष्प्रभाव हमारे पर्यावरण व जीवनशैली पर किस प्रकार पड़ रहा है जानने के लिए एक बार जरूर पढ़े...

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2018 (थीम: प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति) कार्यक्रम स्थल: तेवरी कटनी:- द्वारा संदीप मौर्य

प्लास्टिक प्रदूषण का दुष्प्रभाव 

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कृपया प्लास्टिक का उपयोग करना कम करे ये प्रकृति व पर्यावरण के लिये हानिकारक है
प्लास्टिक यह एक ऐसा पदार्थ है जो कि मैं हजारों सालों तक ज्यों का त्यों पड़ा रहता है अन्य पदार्थों की तरह हैं विघटित नहीं होता है. जब से विज्ञान ने तरक्की की है मानव ने Plastic का निर्माण बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ा दिया है. मानव ने प्लास्टिक का निर्माण अपनी सुविधा के लिए किया था लेकिन अब यही प्लास्टिक मानव के जीवन के साथ – साथ पृथ्वी के वातावरण के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है 
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कृपया प्लास्टिक का उपयोग करना कम करे सब्जी एव अन्य रोज की जरूरत के सामान थैले में खरीदे। ये प्रकृति व पर्यावरण के लिये हानिकारक है

इसका कारण है कि हम अपनी संस्कृति को भूल गए और विदेशी वस्तुए, विदेशी रहन-सहन  हमे अच्छा  लगने लगा। विदेशी चकाचौंध को देखकर हम बौरा गए है और बिना कुछ सोचे समझे लालची कुत्ते व नकलची बंदर की तरह हम भारतीय लोग विदेशी जीवन शैली अपनाते जा रहे है. 
हम लोग हर विदेशी वस्तु को आँख बंद करके अपना लेते है और ये सोचते ही नहीं कि उस वस्तु का क्या घातक परिणाम हमारे सामने आयेगा ।

प्लास्टिक एक विदेशी दिमाग की उपज है जिसे सन् 1862 मे अलेक्जेंडर पार्कीस ने लंदन मे एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में  प्रदर्शित किया । इसके द्वारा बनी हुयी वस्तुएं बहुत आकर्षक, टिकाऊ और कभी न सड़ने गलने वाली होती है। ये बात बिल्कुल ठीक है लेकिन प्लास्टिक से बनी हुयी वस्तुएं आज हमारे जन जीवन के लिए कितनी घातक हो जाएँगी ये किसी ने नहीं सोचा।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्लास्टिक प्रदूषण से अवगत कराते
Oxyrich Environment Welfare Foundation सदस्य अंश जैन व सहयोगी मित्र

पहले भारत के लोग सोने चाँदी के वर्तनों मे खाना  खाते थे फिर उसके कुछ समय बाद पीतल, तांबे और फूल जैसी धातुओं से बने वर्तनों मे खाना खाने लगे, उसके बाद लोहे, स्टील,मिट्टी और ऍल्युमिनियम (स्वस्थ के लिए हानिकारक) से बने वर्तनों मे खाना खाने लगे। और आज प्लास्टिक के वर्तनों मे। खाने के लिए प्लास्टिक के वर्तन का उपयोग करना बहुत हानिकारक है । आज चम्मच , कप , प्लेट ,गिलास , कटोरी , बोतल आदि आदि हर एक वस्तु प्लास्टिक की बनाई जाने लगी है। आज कल शादी पार्टी मे खाने के दौरान अक्सर ये देखने को मिलता है । 

प्लास्टिक को बनाने के लिए कई जहरीले केमिकल काम में लिए जाते हैं जिसके कारण यह जहां भी पड़ा रहता है धीरे-धीरे वहां पर बीमारियो और प्रदूषण को जन्म देता है. प्लास्टिक मानव  की दिनचर्या में इस तरह से गिर चुका है कि जब सुबह में उठता है तो टूथ ब्रश भी प्लास्टिक का होता है
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प्रकृति एवं मानव ईश्वर की अनमोल एवं अनुपम कृति हैं। प्रकृति अनादि काल से मानव की सहचरी रही है। लेकिन मानव ने अपने भौतिक सुखों एवं इच्छाओं की पूर्ति के लिये इसके साथ निरंतर खिलवाड़ किया और वर्तमान समय में यह अपनी सारी सीमाओं की हद को पार कर चुका है। स्वार्थी एवं उपभोक्तावादी मानव ने प्रकृति यानि पर्यावरण को पॉलीथीन के अंधाधुंध प्रयोग से जिस तरह प्रदूषित किया और करता जा रहा है उससे सम्पूर्ण वातावरण पूरी तरह आहत हो चुका है। आज के भौतिक युग में पॉलीथीन के दूरगामी दुष्परिणाम एवं विषैलेपन से बेखबर हमारा समाज इसके उपयोग में इस कदर आगे बढ़ गया है मानो इसके बिना उनकी जिंदगी अधूरी है।
वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में यह पॉली अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं। सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं। पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा।
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भारत में लगभग दस से पंद्रह हजार इकाइयाँ पॉलीथीन का निर्माण कर रही हैं। सन 1990 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में इसकी खपत 20 हजार टन थी जो अब बढ़कर तीन से चार लाख टन तक पहुँचने की सूचना है जोकि भविष्य के लिये खतरे का सूचक है।
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प्लास्टिक का उपयोग मानव द्वारा ही सबसे ज्यादा उपयोग में लिया जाता है. जिसके कारण इसके दुष्प्रभाव भी मानव पर ही ज्यादा पड़ते है. मानव का जन्म होता है तब से ही उसके हाथों में प्लास्टिक थमा दिया जाता है.  छोटे बच्चे के मुंह में दूध के निप्पल से लेकर उसे प्लास्टिक का डायपर बनाया जाता है.
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बच्चे को खेलने के लिए भी प्लास्टिक के खिलौने ही दिए जाते हैं. यहां तक कि मानव अपने पूरे जीवन भर में सबसे ज्यादा प्लास्टिक से ही गिरा रहता है और इसी का ही सबसे ज्यादा उपयोग करता है.
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लेकिन प्लास्टिक से  मानव जीवन को बहुत खतरा है क्योंकि  मानव को जीवन के लिए जिन आवश्यक वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है उन सभी में यह प्लास्टिक जहर घोल देता है. जिससे अनेकों भयंकर बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं. एक शोध के मुताबिक प्लास्टिक से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती है. प्लास्टिक भविष्य में मानव जीवन के पतन का कारण भी बन सकता है.
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प्लास्टिक द्वारा ज्यादातर वस्तुएं ऐसी बनाई जाती हैं जो कि मानव द्वारा एक बार में माल लेने के बाद फेंक दी जाती हैं  जैसे कि पानी की बोतलें खिलौने प्लास्टिक की सुई, टूथ ब्रश, पैकिंग का सामान, पॉलिथीन बैग, प्लास्टिक के बॉक्स आदि ऐसी वस्तु है जो कि मानव द्वारा एक बार ही इस्तेमाल में ली जाती है.
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फिर इन सब वस्तुओं को कचरे में फेंक दिया जाता है. इस कचरे में बचा-खुचा खाने का सामान भी पड़ा रहता है जो कि गायों या अन्य पशुओं द्वारा इन प्लास्टिक की वस्तुओं के साथ ही खा लिया जाता है यह प्लास्टिक जीव जंतुओं के फेफड़ों में फंस जाता है. जिसके कारण उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है और उनकी मृत्यु हो जाती है.
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कृपया देखे, सोचे, समझे और सकल्प करे कि घटिया प्लाटिक का उपयोग न करेगे ना करने देगे। एक बेहतर एवं स्वच्छ वातावरण के निर्माण हेतु  एक मनुष्य होने के नाते, हमें प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने वाली गतिविधियों में सख्ती से शामिल होना चाहिए।  यदि आप तैयार है तो हमारे साथ जुड़िये.. हमारे फाॅऊडेशन से जुड़ कर पर्यावरण व प्रकृति की सेवा किजिए। 
संदीप कुमार मौर्य
अध्यक्ष
आक्सीरिच इन्वायरमेन्ट वेलफेयर फाऊडेशन


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