पीपल
जगत : पादप
विभाग : सपुष्पक
गण : रोजेलेश
कुल : मारेसी
प्रजाति : फाईकस
जाति : फाईकस रेलीजियोसा
पीपल, गुलर या बरगद की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है। जिसे भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। एव अनेक त्यौहारों व पर्वो पर इस वृक्ष की पूरे श्रृद्वाभाव से पूजा अर्चना कि जाति है। इस वृक्ष के बीज राई के दानो से भी छोटे आकार में होते है। बीजो का आकार इतना न्यून होने के कारण भी इसके बीज से उत्पन्न वृक्ष विशानकाय एवं बहुवर्षीय होते है। तथा कई वर्षो तक जीवित रहते है। इस वृक्ष के पत्ते देखने में सुन्दर चमकीले, तथा चंचल होते है इस वृक्ष के पत्तों व फलों का उपयोग जानवरों के चारे व पक्षियों के भोजन के रूप में आता है।

भारतीय संस्कृति में पीपल वृक्ष को देव वृक्ष या वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ माना गाया है
पीपल वृक्ष की धार्मिक महत्वः-
भारतीय संस्कृति में पीपल वृक्ष को देव वृक्ष या वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ माना गाया है। स्कन्द पुरान के अनुसार पीपल के मूल में भगवान विष्णुु, तने में केशव (कृष्ण), शाखाओं में नारायण का वास होता है। अर्थात पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु जी का मूर्तिमान स्वरूप विराजमान है शास्त्रों के अनुसार पीपल वृक्ष की पूजा मात्र से समस्त देवताओं की पूजा हो जाती हैं। पीपल वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनिष्ट नही होती। पीपल वृक्ष की सेवा करने वाले सदैव सदगति को प्राप्त करते है। पीपल वृ़क्ष के नीचे साधना, उपासना, पूजा तथा सभी प्रकार के संस्कारो को शुभ माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भागवतगीता (10/26) में कहते है।
हे! अर्जुन, अश्रत्यः सर्ववृक्षाणाम्
अर्थात मै वृक्षों में पीपल वृक्ष हूॅ। पीपल ही बोधि वृक्ष है इसी वृक्ष के नीचे बैठकर तथागत भगवान गौतम बुद्व ने ज्ञान की प्राप्ति की थी।

वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमस्तुते।
हमारे वातावरण में पीपल वृक्ष का महत्वः-

फाऊडेशन सयुक्त सचिव श्री सुनील नायक जी द्वारा पीपल वृक्षो का रोपड करते हुए
पीपल वृक्ष का हमारे वातावरण में विषेश महत्व है क्योंकि हमारी पृथ्वी पर पाया जाने वाला यही एक मात्र बहुवर्षीय वृक्ष है जो हमारे वातावरण में दिन-रात (व्2) आक्सीजन छोड़ता है जबकि इसके विपरीत अन्य वृक्ष केवल दिन में ही (व्2) आक्सीजन व रात में कार्बन-डाई-आक्साईड (ब्व्2) छोड़ते है पीपल वृक्ष में एक खास बजह यह भी है कि यह वृक्ष अपनी बनावट व पत्तो के आकार व प्रकार के कारण सूरज की तपती गरमी को तो रोक लेता है किन्तु सूरज की रोशनी को नही। इसलिऐ इस वृक्ष के नीचे छाया तो रहने के साथ-साथ उजाला भी रहती है।


देखने में आया है कि पिछले कई वर्षों से पीपल वृक्षों को सरकारी स्तर पर लगाना बंद कर दिया गया है। अतः इन वृक्षों की जगह अव यूकेलिप्टस, गुलमोहर, एवं अन्य साजावटी वृक्षो का लगवाना शुरू कर दिया है। जो कि किसी न किसी प्रकार से मानव सभ्यता व पर्यावरण में प्रतिकूल प्रभाव छोड़ रहे है।
पीपल वृक्षों की जड़े, भूमि में अधिक गहराई तक अर्थात पताल तक जाती है। इसी करण से ये वृक्ष भूमि में जल का स्तर को बनाये रखने में मद्दगार होतें है अतः दुसरे शब्दो में पृथ्वी पर जल के स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए आधिक से अधिक पीपल के वृक्षों को लगवाना चाहिए।

फाऊडेशन उपाध्यक्ष श्री राहुल अग्रवाल जी (सिंटी भैया) द्वारा पीपल वृक्षो का रोपड करते हुए
पीपल वृक्ष का हमारे जीवन में औषिधि महत्वः-
पीपल के वृक्ष के पत्ते, सूखे फल, जड़, पीपल के बीज, सभी कुछ स्वास्थ के लिये गुणकारी व लाभदायक हैः-
👉दिल के रोगो में- दिल के कई प्रकार के रोगो से बचाने के लिये पीपल की हरी ताजी पत्तीयों को एक गिलास पाीनी में अच्छी तरह उबाले जब 1/3 भाग रह जाये तो सुबह में प्रतिदिन 3-3 घन्टे के अंतराल इसका सेवन करने से दिल के रोगो में फायेदेमंद साबित होता है।
👉 सर्दी, खासी, एव जुकाम में- पीपल के पत्तो का चूर्ण, सर्दी, खासी, एव जुकाम के ईलाज के भी फायेदेमंद माना जाता है।
👉सांस की तकलीफ - सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या में पीपल का पेड़ आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए पीपल के पेड़ की छाल का अंदरूनी हिस्सा निकालकर सुखा लें। सूखे हुए इस भाग का चूर्ण बनाकर खाने से सांस संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती है। इसके अलावा इसके पत्तों का दूध में उबालकर पीने से भी दमा में लाभ होता है।
👉 पीलिया - पीलिया हो जाने पर पीपल के 3-4 नए पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर बनाए गए शरबत को पीना बेहद फायदेमंद होता है। इसे 3-5 दिन तक दिन में दो बार देने से लाभ होता है।
👉त्वचा रोग - त्वचा पर होने वाली समस्याओं जैसे दाद, खाज, खुजली में पीपल के कोमल पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है। इसके अलावा फोड़े-फुंसी जैसी समस्या होने पर पीपल की छाल का घिसकर लगाने से फायदा होता है।
👉दांतों के लिए - पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं, और दांतों में दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है। इसके अलावा 10 ग्राम पीपल की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च को बारीक पीसकर बनाए गए मंजन का प्रयोग करने से भी दांतों की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
👉सांप काटने पर - सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें। विष का प्रभाव कम होगा।

👉बाझपन एवं नपुसंकता में- पीपल के फलो का चूर्ण लेने से बाझपन व नपुसंकता दूर होता है। पीपल के पेड़ , जड़ व जटाओ में पुरूर्षोत्व प्रदान करने के गुण मौजूद होते है अतः इसके जड़ो, फलो, पत्तियों, एव जटाओ से बने औषिधि का प्रयोग कर बाझपन व नपुसंकता के दोष को दूर किया जा सकता है इसके अलावा यदि कोई पुरूष संतान उत्पन्न असमर्थ है तो पीपल के पेड़ की जड़ो को काटकर उसका काढा पीने से भी लाभ मिलता है।

फाऊडेशन अध्यक्ष श्री संदीप कुमार मौर्य जी द्वारा पीपल व अन्य वृक्षो बचाने हेतु
वृक्ष मित्र (Selfi With Tree) अभियान का अगाज किया गया ग्राम रैपुरा तालाब से----
‘‘कृपया ऐसे प्रकृति के
अनमोल वृक्षों को बचायें’’


पीपल वृक्ष की धार्मिक महत्वः-
हे! अर्जुन, अश्रत्यः सर्ववृक्षाणाम्


हमारे वातावरण में पीपल वृक्ष का महत्वः-


देखने में आया है कि पिछले कई वर्षों से पीपल वृक्षों को सरकारी स्तर पर लगाना बंद कर दिया गया है। अतः इन वृक्षों की जगह अव यूकेलिप्टस, गुलमोहर, एवं अन्य साजावटी वृक्षो का लगवाना शुरू कर दिया है। जो कि किसी न किसी प्रकार से मानव सभ्यता व पर्यावरण में प्रतिकूल प्रभाव छोड़ रहे है।

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फाऊडेशन उपाध्यक्ष श्री राहुल अग्रवाल जी (सिंटी भैया) द्वारा पीपल वृक्षो का रोपड करते हुए |
पीपल वृक्ष का हमारे जीवन में औषिधि महत्वः-



👉सांप काटने पर - सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें। विष का प्रभाव कम होगा।


वृक्ष मित्र (Selfi With Tree) अभियान का अगाज किया गया ग्राम रैपुरा तालाब से----

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